

मकर सक्रांति पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में मारी डुबकी,
जानिए इसका महत्व


बागेश्वर। मकर संक्रांति के मौके पर एक महत्त्व गंगा जी में स्नान का भी है । प्रयाग, काशी, हरिद्वार और ऋषिकेश के स्नानों के बारे में तो आपने सुना ही होगा । आज हम आपको उत्तराखण्ड के हिमालय की तलहटी में बसे बागेश्वर के ऐसे पवित्र स्नान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप अपने दांतों तले उँगलियाँ चबाने को मजबूर हो जाओगे । देहरादून से लगभग 500 किलोमीटर और नैनीताल से 150 किलोमीटर दूर स्थित बागेश्वर में हरवर्ष उत्तरायणी पर्व मनाया जाता है । गोमती और सरयू नदी के संगम पर होने वाले इस स्नान को करने के लिए भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं ।



समुद्र सतह से 3240 फ़ीट की ऊंचाई पर बसे इस छोटे से कसबे में दूर दूर से लोग आस्था के चलते पवित्र स्नान और बाग़नाथ मन्दिर(शिव मन्दिर) में पूजा अर्चना करने पहुँचते हैं । जहाँ आप अपने कपडे खोलने में कई बार सोचते हैं वहीँ ये भक्त कपडे खोलकर इस बर्फीले पानी में डुबकी लगाने में देर नहीं करते हैं । काशी, प्रयाग और हरिद्वार के 15-20 डिग्री तापमान से कुछ अलग इस हिमालय कसबे का तापमान शून्य से महज 3-4 डिग्री अधिक होता है । ऐसे में हिमालय से सीधे निकले पानी का तापमान भी कुछ अधिक नहीं बल्कि शून्य के आसपास ही होता है । अब ऐसे में कोई हिम्मतवाला भक्त ही इस चिलचिलाती ठण्ड में डुबकी लगाने की हिम्मत जुटा सकता है । वर्षों से यहाँ ऐसे हिम्मतवाले भक्त आस्था की अनोखी डुबकी लगा रहे हैं
।


नंगे शरीर से उठता धुआं आप ही तापमान की ठंडक को बयां कर देता है । हालाँकि यहाँ अब ज्यादा संख्या वृद्ध भक्तों की रह गई है, लेकिन युवाओं में भी आस्था की इस अनोखी डुबकी को लेकर जोश कम होने का नाम नहीं ले रह है । प्रशासन ने भी संगम पर बने स्नान घाट की सुरक्षा में कहीं कमी नहीं रखी है । लोग हर वर्ष ऐसे ही आते हैं और भगवान् शिव से अपने व् अपने परिवार की कुशलता और सफलता की प्रार्थना करते हुए डुबकी लगाते हैं । ऐसे हिम्मत वाले और आस्थावान भक्तों के लिए मेरा टकाटक न्यूज़ आदर से शीश झुकाता है ।
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